NAT greatly reduces risk of transfusion-transmitted infections
With NAT, we pledge to improve safety of blood & blood products
आपके परिजनों को चढ़ाये जाने वाले रक्त को किस तरह सुरक्षित किया जाता है?
सामान्यतः ब्लड बैंक किसी भी रक्तदाता के रक्त में एड्स (HIV1 & 2) पीलिया बी व सी (HBV & HCV)
की जाँच करने के बाद ही उस रक्त को मरीज को चढ़ाने के लिए जारी करते हैं।
सामान्यतः इन जाँचों के लिए एलाइजा तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
लेकिन अब आई एम ए ब्लड बैंक, बरेली द्वारा एक नयी तकनीक नैट (न्यूक्लियर एसिड टेस्टिंग ) का प्रयोग किया जा रहा है।
विन्डो पीरियड
जब कोई व्यक्ति किसी संक्रमण से ग्रस्त होता है तो रक्त की जाँच में तुरंत उसका पता नहीं लग पाता है। रक्त में उस संक्रमण का कुछ दिनों के बाद ही पता चल पाता है। इस अवधि को विन्डो पीरियड कहते हैं।
एलाइजा तकनीक द्वारा रक्त में षुरूआती दौर के संक्रमण की अवस्था में जाँच नहीं हो पाती है।
नैट तकनीक
नैट (न्यूक्लियर एसिड टेस्टिंग ) एक अति संवेदनषील तकनीकी मषीन है जिसके द्वारा रक्त की जाँच में होने वाले हृयूमन इम्यूनो डेफिषिएंसी वायरस
एड्स), हेपेटाइटिस बी वायरस हेपेटाइटिस सी वायरस
की जाँच होती है।
यह विष्व में अब तक उपलब्ध आधुनिकतम तकनीक है।
नैट व एलाइजा में अंतर
वर्तमान में एलाइजा मषीन रक्त की जाँच में उत्पन्न संक्रमित वायरस के एण्टीबाॅडी की जाँच कर पाती है। परन्तु नैट के माध्यम से कम सूक्ष्म संक्रमित वायरस के पदार्थ की जाँच हो पाती है जोकि एण्टीबाॅडी उत्पन्न होने से पहले ही संक्रमित रक्तदाता के रक्त में मौजूद होते हैं।
नैट व एलाइजा टैस्ट द्वारा संक्रमण पकड़ने की अवधि -
वायरस |
नैट |
एलाइजा |
HBV
|
6-15 दिन* |
30-62 दिन* |
HCV |
10-12 दिन * |
25-82 दिन* |
HIV
|
10-12 दिन* |
20-25 दिन* |
इस प्रकार नैट तकनीक द्वारा बहुत कम समय में ही रक्त के संक्रमित होने का पता चल जाता है।
आई एम ए ब्लड बैंक, बरेली में इसी नैट तकनीक का प्रयोग रक्त में संक्रमण की जाँच के लिए किया जा रहा है।
इससे आई एम ए ब्लड बैंक बरेली द्वारा आपके परिजनों तक पहुँचने वाला रक्त संक्रमण से सुरक्षित होता है।